काश ! तुम आकर मुझसे कह दो…
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मैं भी तन्हा हूँ,
तुम बिन..
तुम्हारी तरह..
तुम्हारे लिए..
तुम्हारी कसम…
मैं मर भी जाऊँ तो कफन से आती रहेगी..
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तुम्हारी खुशबू मेरे बदन से आती रहेगी…
पता है…
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अल्फाज भी रोते हैं कभी-कभी..
लेकिन उनकी सिसकियाँ लिखने वाला ही सुन सकता है,
पढ़ने वाला नहीं…
सीख जाओ किसी के प्यार की कदर करना..
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कहीं कोई बिखर न जाए तुम्हें अहसास दिलाते-दिलाते…
फिर न सिमटेगी मोहब्बत,
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जो बिखर जाएगी..
जिंदगी जुल्फ नहीं,
जो फिर से सँवर जाएगी…
थाम लो हाथ उसका,
जो प्यार करे तुमसे..
ये जिंदगी ठहरेगी नहीं,
बस गुजर जाएगी…
बादल तो एक बार बरस के थम जाते हैं..
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मेरी आँखे तो तेरी याद में हर रोज बरसती हैं…
पत्थर नहीं हूँ मैं,
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मुझमें भी नमी है..
दर्द बयाँ नहीं करता,
बस इतनी सी कमी है…
वक्त रहते कदर कर लो उसकी,
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जो तुम्हें शिद्दत से चाहता हो..
क्योंकि बड़ी मुद्दत से मिलते हैं,
ये शिद्दत से चाहने वाले…
प्यार तुमसे बेइंतहा है सनम..
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हजार दफा भी दिल तोड़ोगे,
तब भी तुमको ही चाहेंगे हम…
गम के सैलाब में,
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कभी-कभी इस कदर डूब जाते हैं..
मरे हुए लोग ही नहीं,
जिंदा भी फिर कभी लौटकर नहीं आते…