
दर्द दिल में जिस दिन बेहिसाब होता है…
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शायरी के लिए वह दिन लाजवाब होता है…
खफा सब है मेरे लहजे से..
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पर मेरे हाल से कोई वाकिफ नहीं…
जिस दिन बंद होगी मेरी आँखें,
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हजारों आँखों से आँसू बरसेंगे..
अभी जो कहते हैं कि बहुत बोलता हूँ मैं,
वो ही मेरी आवाज सुनने को तरसेंगे…
दिल में है दर्द,
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और होंठों से मुस्काए..
जैसे जी रहें हैं हम,
कोई जी कर तो दिखलाए…
न आँखों से छलकते हैं,
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न कागज पर उतरते हैं..
कुछ लफ्ज ऐसे होते हैं,
जो तुम और मैं ही समझते हैं…
दिखावा दर्द का हम कहाँ कर पाते हैं..
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अकेले दर्द में रोते हैं और सो जाते हैं…
कहने को तो खुश हैं हम..
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पर तेरे बिना मेरा मन कहाँ लगता है…
नींद में भी गिरते हैं मेरी आँखों से आँसू..
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तुम ख्वाबों में तो मेरा साथ दिया करो…
तुम्हें तो जिंदगी का हर दुःख बताया था..
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तुम्हारा तो हक नहीं बनता था दुःख देने का…
काश ! तू पूछे मुझसे मेरा हाल-ए-दिल..
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मैं तुझे भी रुला दूँ तेरे सितम सुना-सुना कर…